भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं जोरों पर हैं। पहले अनुमान था कि होली के बाद 14 मार्च तक इस पर फैसला आ सकता है, लेकिन अब यह प्रक्रिया अप्रैल तक खिंचती दिख रही है। इस देरी के पीछे कई अहम वजहें हैं, जिनमें राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव की धीमी रफ्तार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की बैठक प्रमुख हैं। आइए जानते हैं कि बीजेपी अध्यक्ष के चुनाव में देरी के कारण क्या हैं, संभावित दावेदार कौन हैं, और यह प्रक्रिया आखिर किस तरह संपन्न होगी।

बीजेपी अध्यक्ष के चुनाव में देरी के तीन बड़े कारण

  1. प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव की धीमी गति

बीजेपी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी हो सकता है जब आधे से अधिक राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव पूरा हो जाए। हालांकि, अब तक केवल 12 राज्यों में ही यह प्रक्रिया पूरी हो पाई है, जबकि शेष राज्यों में चुनाव संपन्न कराने के लिए अभी कम से कम 10-12 दिन और लग सकते हैं। इसके बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की औपचारिक प्रक्रिया आगे बढ़ेगी, जिसमें भी 12-15 दिन का समय लगने की संभावना है।

  1. आर.एस.एस. की बैठक के चलते अंतिम निर्णय में देरी

21-23 मार्च के बीच बेंगलुरु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक होनी है। इस बैठक में बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, संगठन महासचिव बी.एल. संतोष और 1500 से अधिक प्रतिनिधि शामिल होंगे। आरएसएस के वरिष्ठ अधिकारी 17 से 24 मार्च तक बेंगलुरु में रहेंगे, इसलिए बीजेपी नेतृत्व को नए अध्यक्ष पर अंतिम निर्णय लेने के लिए 24 मार्च तक इंतजार करना पड़ सकता है।

  1. हिंदू नववर्ष के शुभ मुहूर्त का इंतजार

बीजेपी इस चुनाव को हिंदू अस्मिता से जोड़कर देख रही है। 30 मार्च से हिंदू नववर्ष की शुरुआत हो रही है, और पार्टी चाहती है कि यह अहम फैसला इसी पवित्र कालखंड में लिया जाए। यही कारण है कि पार्टी नेतृत्व अप्रैल में राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा करने पर विचार कर रहा है।

जेपी नड्डा का कार्यकाल और भविष्य की संभावनाएं

जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त होना था, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इसे बढ़ा दिया गया। लोकसभा चुनाव के बाद भी महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनावों के कारण नए अध्यक्ष के चुनाव में देरी होती रही। अब जबकि यह प्रक्रिया शुरू होने वाली है, पार्टी में नए नेतृत्व को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं।

बीजेपी अध्यक्ष बनने की रेस में ये तीन बड़े नाम

  1. शिवराज सिंह चौहान – वर्तमान में कृषि मंत्री, चार बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पार्टी और संघ दोनों में गहरी पकड़ रखते हैं।
  2. मनोहर लाल खट्टर – आवास और शहरी विकास मंत्री, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री, संगठन में मजबूत पकड़ और प्रशासनिक अनुभव।
  3. धर्मेंद्र प्रधान – शिक्षा मंत्री, संगठनात्मक कौशल और युवा वर्ग में लोकप्रियता के चलते मजबूत दावेदार।

बीजेपी अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया

बीजेपी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव एक निश्चित प्रक्रिया से गुजरता है:

राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषदों के सदस्यों का एक इलेक्टोरल कॉलेज बनाया जाता है।

यही इलेक्टोरल कॉलेज अध्यक्ष का चुनाव करता है।

उम्मीदवार के लिए 15 साल तक पार्टी का प्राथमिक सदस्य रहना आवश्यक है।

उसके नाम का प्रस्ताव इलेक्टोरल कॉलेज के कम से कम 20 सदस्यों द्वारा किया जाना चाहिए।

ये प्रस्ताव कम से कम 5 राज्यों से आने चाहिए, जहां राष्ट्रीय परिषद के चुनाव हो चुके हों।

चुनाव नॉमिनेशन के बाद वोटिंग से तय होता है, और बैलेट बॉक्स दिल्ली लाकर मतगणना की जाती है।

बीजेपी संविधान के अनुसार, कोई भी व्यक्ति अधिकतम दो कार्यकाल (3-3 साल) यानी कुल 6 साल तक अध्यक्ष रह सकता है। हालांकि, रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बार पार्टी नड्डा की जगह नए अध्यक्ष का चुनाव करने जा रही है।

अप्रैल में मिलेगा बीजेपी को नया अध्यक्ष?

अब सभी की नजरें 24 मार्च के बाद के घटनाक्रमों पर टिकी हैं। बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व और संघ की सहमति ही तय करेगी कि पार्टी को नया अध्यक्ष कब मिलेगा। हिंदू नववर्ष के शुभ मुहूर्त को देखते हुए, यह लगभग तय माना जा रहा है कि अप्रैल में बीजेपी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाएगा।

क्या यह चेहरा अनुभवी शिवराज सिंह चौहान होंगे? या फिर बीजेपी कोई नया प्रयोग करने जा रही है? यह देखना दिलचस्प होगा। एक बात तो तय है – इस फैसले से भारतीय राजनीति में नए समीकरण बनने तय हैं!

By ramandeep

विश्लेषक़, लेखक

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